पौधों में कीटनाशकजीवों तथा रोगजनकों के विरुद्ध स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न प्रकार की रक्षा अनुक्रियाएं होती हैं। इनमें छोटे कार्मिक पदार्थों से लेकर बड़े प्रोटीनों और एंजाइमों जैसे रसायनोंका उत्पादन शामिल है। मेरे अनुसंधान की रुचि का क्षेत्र पौधों की रक्षा यांत्रिकी, सम्बद्ध संकेत ट्रांसडक्शन पथों और घटक प्रतिरोध जीनों की सक्रियता को समझना है। इसका उद्देश्य फसल पौधों में कीट-नाशकजीवों और रोगजनकों के विरुद्ध प्रतिरोधिता को बढ़ाना है।
अनुसंधान प्रकाशन
कोरामुटला एम के, कौर ए, नेगी एम, वेंकटचलम पी, भट्टाचार्या आर सी 2014. इलिसिटेशन ऑफ जेस्मोनेट- मेडिएटिड होस्ट डिफेंस इन ब्रैसिका जुंसिया (एल.) एटीन्यूएट्स पॉपुलेशन ग्रोथ ऑफ मस्टर्ड एफिड लिपेफिस इरिसिमी (काल्ट). प्लांटा 240: 177-194
कौण्डल के आर और भट्टाचार्या आर सी. 2005. पोटेंशियल ऑफ बायोटैक्नोलोजी इन क्रॉप इम्प्रूवमेंट एंड सस्टेनेबल एग्रीकल्चर. एडवांसिस इन बायोटैक्नोलॉजी. संपादक – पी सी त्रिवेदी, एग्रोबायोस. मु.पृ. 21-46
Awards & Honors
वाह्य सहायता प्राप्त परियोजनाएं
परियोजना का शीर्षक : चूषक एवं पिटिका कीटनाशकजीवों के विरुद्ध चावल और सरसों में रक्षा प्रेरित करने का सामान्य आधार। निधिदाता एजेंसी : भा.कृ.अ.प. (एनएफबीएसएफएआरए के अंतर्गत)
परियोजना का शीर्षक : वे फसल पौधे जो अपनी प्रमुख जैविक बाधाओं को दूर कर लेते हैं (भारतीय- आस्ट्रेलियाई अनुदान चुनौती कार्यक्रम) । निधिदाता एजेंसी : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार